सुप्रीम कोर्ट ने 5 (पंचवर्षीय) वर्षीय Law Degree course को 4 वर्षीय LLB से बदलने की याचिका पर सुनवाई की
माननीय Supreme court of India ने 5 (पंचवर्षीय) वर्षीय Law Degree course को 4 वर्षीय LLB से बदलने की याचिका पर सुनवाई की
Supreme court of India ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें पंचवर्षीय LLB कोर्स को 4 वर्षीय LLB कोर्स से बदलने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने यह मांग इस आधार पर की थी कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) पेशेवर डिग्री के लिए चार वर्षीय ग्रेजुएट कोर्स को बढ़ावा देती है।
Justice Vikram Nath और justice sandeep mehta की खंडपीठ ने याचिका पर नोटिस जारी नहीं किया और इसे 1 वर्षीय LLM कोर्स से संबंधित अन्य मामले के साथ जोड़ दिया।
Advocate अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें कहा गया,
"5 (पंचवर्षीय) वर्षीय बी. लॉ को पैसे ऐंठने के लिए डिज़ाइन किया गया और सबसे गंभीर बात यह है कि शिक्षा के नाम पर इस तरह की गंदी चाल का इस्तेमाल किया जा रहा है। पांच वर्षीय कोर्स किसी भी स्टूडेंट की कानूनी विशेषज्ञता का आकलन करने का कोई मानक नहीं है।"
याचिका में केंद्र सरकार को कानूनी शिक्षा आयोग या विशेषज्ञ समिति गठित करने के निर्देश देने की भी मांग की गई, जिसमें प्रख्यात शिक्षाविद, न्यायविद, रिटायर जज, एडवोकेट और प्रोफेसर शामिल हों, ताकि LLB और LLM प्रोग्राम के कोर्स, course और अवधि की समीक्षा की जा सके और कानूनी पेशे में सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए उचित कदम उठाए जा सकें।
याचिकाकर्ता ने नई शिक्षा नीति, 2020 का हवाला देते हुए कहा कि नीति सभी व्यावसायिक और शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रमों को बढ़ावा देती है, लेकिन बार काउंसिल ऑफ इंडिया बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने मौजूदा पाठ्यक्रम, पाठ्यक्रम और LLB और LLM कोर्स की अवधि की समीक्षा करने के लिए उचित कदम नहीं उठाए हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट विकास सिंह पेश हुए।
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